क्रिप्टोकरंसी: डिजिटल मुद्रा का परिचय तथा उसका इतिहास

क्रिप्टोकरंसी (Cryptocurrency) डिजिटल और वर्चुअल करेंसी का एक रूप है जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) पर आधारित है। यह करेंसी पारंपरिक वित्तीय संस्थानों के बजाय विकेंद्रीकृत प्रणाली (Decentralized System) पर निर्भर करती है। क्रिप्टोकरंसी न केवल एक निवेश का साधन है, बल्कि आधुनिक वित्तीय और तकनीकी दुनिया में एक क्रांति लेकर आई है।

क्रिप्टोकरंसी का इतिहास


क्रिप्टोकरंसी की शुरुआत 2009 में बिटकॉइन (Bitcoin) से हुई, जिसे "सतोशी नाकामोटो" (Satoshi Nakamoto) नामक एक अज्ञात व्यक्ति या समूह ने विकसित किया। बिटकॉइन का उद्देश्य एक ऐसी मुद्रा बनाना था जो सरकारों या बैंकों पर निर्भर न हो और पूरी तरह सुरक्षित और गुमनाम हो। इसके बाद सैकड़ों नई क्रिप्टोकरंसीज बाजार में आईं, जिनमें एथेरियम (Ethereum), लाइटकॉइन (Litecoin), और रिपल (Ripple) प्रमुख हैं।




ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है?

ब्लॉकचेन वह तकनीक है जो क्रिप्टोकरंसी को संचालित करती है। यह एक विकेंद्रीकृत डिजिटल लेजर (Decentralized Digital Ledger) है, जिसमें सभी लेन-देन को ब्लॉक्स (Blocks) के रूप में दर्ज किया जाता है और प्रत्येक ब्लॉक को क्रिप्टोग्राफी के माध्यम से सुरक्षित किया जाता है।


ब्लॉकचेन की प्रमुख विशेषताएँ:

1. पारदर्शिता (Transparency): सभी लेन-देन सार्वजनिक लेजर पर रिकॉर्ड होते हैं।


2. सुरक्षा (Security): डेटा को बदलना लगभग असंभव होता है।


3. विकेंद्रीकरण (Decentralization): कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं होता।



क्रिप्टोकरंसी की प्रमुख श्रेणियां तथा ट्रेंडिंग शब्द

1. DeFi (Decentralized Finance):

DeFi एक ऐसा फाइनेंशियल सिस्टम है जो ब्लॉकचेन पर आधारित होता है और पारंपरिक बैंकों की आवश्यकता को समाप्त करता है। इसमें उपयोगकर्ता स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स (Smart Contracts) का उपयोग करके सीधे लेन-देन कर सकते हैं।

2. NFT (Non-Fungible Token):

NFT डिजिटल संपत्ति का एक प्रकार है, जिसमें कला, संगीत, वीडियो आदि शामिल होते हैं। ये संपत्तियाँ अद्वितीय होती हैं और इन्हें ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड किया जाता है।

3. Metaverse:

Metaverse एक वर्चुअल रियलिटी प्लेटफॉर्म है जहां क्रिप्टोकरंसी का उपयोग वर्चुअल संपत्ति खरीदने और बेचने के लिए किया जाता है।

4. Proof of Work (PoW) और Proof of Stake (PoS):

ये ब्लॉकचेन के लेन-देन सत्यापन के तरीके हैं। PoW में खनन (Mining) शामिल है, जबकि PoS अधिक ऊर्जा-कुशल प्रक्रिया है।

5. Stablecoins:

Stablecoins ऐसी क्रिप्टोकरंसी हैं जो अपनी कीमत को स्थिर बनाए रखने के लिए किसी फिएट करेंसी (जैसे USD) या संपत्ति से जुड़ी होती हैं।


क्रिप्टोकरंसी के फायदे

1. तेज़ और सस्ते लेन-देन: क्रिप्टोकरंसी से लेन-देन बैंकिंग सिस्टम की तुलना में तेज़ और सस्ता होता है।


2. विकेंद्रीकरण: इसमें किसी केंद्रीय प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं होती।


3. गोपनीयता: उपयोगकर्ता के पहचान विवरण सुरक्षित और गुप्त रहते हैं।


4. बॉर्डरलेस सिस्टम: इसे दुनिया में कहीं भी उपयोग किया जा सकता है।


क्रिप्टोकरंसी के नुकसान

1. उच्च अस्थिरता (Volatility): इसकी कीमतें तेजी से बदलती हैं, जो निवेशकों के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है।


2. कानूनी स्थिति: कई देशों में क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध है या यह नियंत्रित नहीं है।


3. साइबर हमले: डिजिटल होने के कारण यह हैकिंग और धोखाधड़ी का शिकार हो सकता है।


4. पर्यावरणीय प्रभाव: माइनिंग के लिए भारी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।



कैसे काम करती है क्रिप्टोकरंसी?

क्रिप्टोकरंसी ब्लॉकचेन नेटवर्क पर काम करती है। उपयोगकर्ता अपने डिजिटल वॉलेट का उपयोग करके लेन-देन करते हैं। लेन-देन को सत्यापित करने के लिए "माइनर्स" नामक व्यक्ति या समूह जटिल गणितीय समस्याओं को हल करते हैं।

खनन (Mining):

खनन वह प्रक्रिया है जिसमें माइनर्स नए ब्लॉक बनाते हैं और उन्हें ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं। इसके बदले में उन्हें क्रिप्टोकरंसी के रूप में इनाम मिलता है।


विश्व की प्रसिद्ध प्रमुख क्रिप्टोकरंसी




1. बिटकॉइन (Bitcoin - BTC):

पहली और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरंसी।

2009 में सतोशी नाकामोटो द्वारा बनाई गई।


2. एथेरियम (Ethereum - ETH):

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स और डीसेंट्रलाइज्ड एप्लिकेशन (DApps) के लिए प्रसिद्ध।

2015 में विटालिक बटरिन द्वारा विकसित।


3. बिनेंस कॉइन (Binance Coin - BNB):

बिनेंस एक्सचेंज की मूल मुद्रा।

लेन-देन शुल्क में छूट प्रदान करता है।


4. कार्डानो (Cardano - ADA):

पर्यावरण-अनुकूल क्रिप्टोकरंसी।

2017 में चार्ल्स होस्किनसन द्वारा विकसित।


5. रिपल (Ripple - XRP):

तेज़ और सस्ते अंतरराष्ट्रीय भुगतान के लिए लोकप्रिय।

बैंकिंग प्रणाली में उपयोग होता है।


6. सोलाना (Solana - SOL):

तेज़ और कम लागत वाली ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म।

डीसेंट्रलाइज्ड एप्लिकेशन और NFT के लिए प्रसिद्ध।


7. पोलकाडॉट (Polkadot - DOT):

विभिन्न ब्लॉकचेन को जोड़ने और संचार के लिए डिज़ाइन किया गया।

इंटरऑपरेबिलिटी के लिए लोकप्रिय।


8. लाइटकॉइन (Litecoin - LTC):

बिटकॉइन का हल्का और तेज़ विकल्प।

2011 में चार्ली ली द्वारा विकसित।


9. डॉगकॉइन (Dogecoin - DOGE):

मजाक के रूप में शुरू हुई, लेकिन निवेशकों के बीच लोकप्रिय।

एलन मस्क के समर्थन के कारण प्रसिद्ध।


10. शिबा इनु (Shiba Inu - SHIB):

डॉगकॉइन का प्रतिद्वंद्वी।

मेम-आधारित क्रिप्टोकरंसी।


11. टेदर (Tether - USDT):

एक स्टेबलकॉइन जो अमेरिकी डॉलर से जुड़ा है।

कम अस्थिरता के लिए लोकप्रिय।


12. चेनलिंक (Chainlink - LINK):

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को बाहरी डेटा से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया।


13. मैटिक (Polygon - MATIC):

एथेरियम नेटवर्क की स्केलेबिलिटी बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध।

भारतीय डेवलपर्स द्वारा विकसित।


ये क्रिप्टोकरंसीज उनकी विशेषताओं और उपयोगिता के आधार पर निवेशकों और उपयोगकर्ताओं के बीच प्रसिद्ध हैं।



भारत और क्रिप्टोकरंसी

भारत में क्रिप्टोकरंसी को लेकर मिश्रित दृष्टिकोण है। 2021 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टोकरंसी पर बैन लगाने की सिफारिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को हटा दिया। वर्तमान में, भारत सरकार डिजिटल एसेट्स पर कर लगाने और इसे विनियमित करने पर विचार कर रही है।

CBDC (Central Bank Digital Currency):

RBI ने 2022 में अपनी डिजिटल मुद्रा (CBDC) लॉन्च करने की घोषणा की। यह एक सरकारी डिजिटल करेंसी है, जो क्रिप्टोकरंसी से अलग है।


क्रिप्टोकरंसी में निवेश

क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने से पहले निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें:

1. शोध करें: विभिन्न क्रिप्टोकरंसीज की कार्यप्रणाली और उनकी कीमतों की प्रवृत्ति समझें।


2. सुरक्षित वॉलेट का चयन करें: अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए हार्डवेयर वॉलेट का उपयोग करें।


3. जोखिम समझें: क्रिप्टोकरंसी की अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए निवेश करें।


4. लॉन्ग-टर्म दृष्टिकोण अपनाएँ: त्वरित लाभ के बजाय दीर्घकालिक दृष्टिकोण से निवेश करें।


भविष्य में क्रिप्टोकरंसी का प्रभाव

क्रिप्टोकरंसी वित्तीय प्रणाली में बड़े बदलाव ला सकती है। इसमें न केवल बैंकों और सरकारों के काम करने का तरीका बदलने की क्षमता है, बल्कि यह उन लोगों को भी सशक्त बना सकती है, जिनकी बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच नहीं है।

उभरते हुए रुझान:

1. Web 3.0: क्रिप्टोकरंसी और ब्लॉकचेन, Web 3.0 के मूलभूत तत्व बन सकते हैं।


2. कंपनियों का क्रिप्टो अपनाना: बड़ी टेक कंपनियाँ क्रिप्टो पेमेंट को स्वीकार करना शुरू कर रही हैं।


3. ग्रीन क्रिप्टो: पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए ग्रीन माइनिंग और ऊर्जा-कुशल प्रोटोकॉल विकसित किए जा रहे हैं।

भारत में क्रिप्टोकरंसी की स्थिति और भविष्य

भारत में क्रिप्टोकरंसी का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2013 में, बिटकॉइन जैसे डिजिटल एसेट्स पर निवेश शुरू हुआ, लेकिन इसे लेकर सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की नीतियाँ अस्पष्ट रहीं। 2018 में, RBI ने क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया, जिससे क्रिप्टो मार्केट ने तेजी से विस्तार किया।

वर्तमान में, भारत में क्रिप्टोकरंसी को लेकर कोई स्पष्ट कानूनी ढांचा नहीं है। हालाँकि, सरकार ने डिजिटल एसेट्स को नियंत्रित करने और उनसे जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने की दिशा में कदम उठाए हैं। 2022 में, क्रिप्टोकरंसी पर 30% कर और 1% टीडीएस (TDS) लागू किया गया, जिससे सरकार ने इसे मान्यता दी, लेकिन इसे एक वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं किया।

भविष्य की संभावनाएँ

1. CBDC (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी):
RBI ने 2022 में डिजिटल रुपया (Digital Rupee) की पायलट परियोजना शुरू की, जो क्रिप्टोकरंसी की विकेंद्रीकृत प्रकृति से अलग है। इसका उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना है।


2. क्रिप्टो नियमन:
सरकार क्रिप्टो पर नियंत्रण रखने और निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक नियामक ढाँचा विकसित कर सकती है।


3. सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
क्रिप्टोकरंसी युवाओं और टेक्नोलॉजी के जानकार निवेशकों के लिए नए अवसर पैदा कर सकती है।


निष्कर्ष:

भारत में क्रिप्टोकरंसी का भविष्य इसके विनियमन और जागरूकता पर निर्भर करता है। यह न केवल वित्तीय प्रणाली में क्रांति ला सकता है, बल्कि देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर सकता है।

क्रिप्टोकरंसी वित्तीय और तकनीकी दुनिया में एक नया युग लेकर आई है। हालाँकि इसमें जोखिम हैं, लेकिन इसके लाभ और संभावनाएँ इसे भविष्य की मुद्रा बना सकते हैं। इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे विनियमित करने और सुरक्षित बनाने के लिए कितने प्रभावी कदम उठाए जाते हैं।


क्रिप्टोकरंसी केवल एक निवेश नहीं, बल्कि एक डिजिटल क्रांति है, जो वित्तीय स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त कर रही है।


"Maruti Suzuki Arena: आपके लिए नई पीढ़ी का कार खरीदने का अनुभव"

Maruti Suzuki Arena भारत की प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी द्वारा पेश किया गया एक प्रीमियम कार डीलरशिप चैनल है। इसे ग्राहकों को बेहतर अनुभव और अत्याधुनिक सेवाएं प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मारुति सुजुकी ने अपने पारंपरिक डीलरशिप मॉडल को आधुनिक बनाने और ग्राहकों के साथ बेहतर जुड़ाव स्थापित करने के उद्देश्य से 2017 में Maruti Suzuki Arena लॉन्च किया।



Maruti Suzuki Arena की विशेषताएं:

1. आधुनिक डिज़ाइन और तकनीक:

Arena शोरूम में डिजिटल इंटरफेस, इंटरैक्टिव डिस्प्ले और वर्चुअल रियलिटी का उपयोग किया जाता है।

ग्राहकों को कार मॉडल, फीचर्स और कस्टमाइज़ेशन विकल्प समझने के लिए डिजिटल माध्यम से सहायता मिलती है।



2. प्रीमियम ग्राहक अनुभव:

शोरूम का माहौल आरामदायक और अत्याधुनिक है।

सेल्स प्रतिनिधि ग्राहकों के व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार मार्गदर्शन करते हैं।



3. उन्नत डिजिटल इंटरेक्शन:

"My Arena" नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म ग्राहकों को अपनी पसंद की कार को कस्टमाइज़ करने, टेस्ट ड्राइव बुक करने और डीलरशिप पर अपॉइंटमेंट शेड्यूल करने की सुविधा देता है।



4. विभिन्न मॉडल्स का प्रदर्शन:

Arena चैनल के तहत मारुति सुजुकी के विभिन्न लोकप्रिय मॉडल उपलब्ध हैं, जैसे कि Alto, Swift, WagonR, Dzire, S-Presso, और Brezza।



5. पारदर्शिता:

कीमतों और सेवाओं में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे ग्राहकों का भरोसा बना रहता है।



6. सेवाएं और सपोर्ट:

बिक्री के बाद की सेवाओं (After-Sales Services) के लिए भी Arena में पूरी तरह से ध्यान दिया जाता है, जिसमें मरम्मत, मेंटेनेंस और इंश्योरेंस शामिल हैं।




Maruti Suzuki Arena के लाभ:

ग्राहक की प्राथमिकताओं को समझने और उनके अनुसार समाधान देने पर फोकस।

हर प्रक्रिया को डिजिटल और तेज़ बनाना।

देशभर में बड़ी संख्या में Arena शोरूम, जो आसानी से पहुंच में हैं।


Maruti Suzuki Arena बनाम NEXA:

Maruti Suzuki Arena मारुति सुजुकी का मुख्य चैनल है, जो किफायती और व्यापक रेंज की कारें पेश करता है। वहीं, NEXA मारुति का एक प्रीमियम चैनल है, जो खासतौर पर प्रीमियम कारों (जैसे Baleno, Ciaz, Grand Vitara) के लिए डिज़ाइन किया गया है।

Maruti Suzuki Arena का उद्देश्य है ग्राहकों को एक आधुनिक, सुविधाजनक और भरोसेमंद कार खरीदने का अनुभव प्रदान करना।


स्वास्थ्य के लिए जंक फूड का संतुलित सेवन कैसे करें?

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जंक फूड हमारी जीवनशैली का एक अहम हिस्सा बन गया है। स्वादिष्ट और आसानी से उपलब्ध होने के कारण यह सभी आयु वर्ग के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है। हालांकि, इसके लगातार सेवन से स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। 


इस लेख में, हम जंक फूड के फायदे और नुकसान पर चर्चा करेंगे, साथ ही यह भी जानेंगे कि इसे संतुलित तरीके से कैसे खाया जा सकता है। चाऊमीन,बर्गर, मोमो, मैक्रोनी, पिज़्ज़ा, पास्ता आदि junk food list में शामिल है।

जंक फूड क्या है | what are junk food 

जंक फूड | Junk food वे खाद्य पदार्थ हैं जो स्वादिष्ट तो होते हैं लेकिन इनमें पोषण का स्तर बहुत कम होता है। इन खाद्य पदार्थों में कैलोरी, चीनी, नमक और वसा की अधिकता होती है। जैसे - बर्गर, पिज्जा, चिप्स, चॉकलेट, फ्रेंच फ्राइज, सॉफ्ट ड्रिंक आदि।


जंक फूड के फायदे

जंक फूड के कुछ फायदे भी हैं, हालांकि यह लंबे समय तक लाभदायक नहीं होते।

1. त्वरित और आसानी से उपलब्ध:

जंक फूड तुरंत तैयार हो जाता है और आसानी से कहीं भी मिल जाता है। व्यस्त जीवनशैली के चलते लोगों को इसे खाने में सुविधा महसूस होती है।


2. स्वादिष्ट और विविधता:

जंक फूड में विभिन्न प्रकार के स्वाद और विकल्प उपलब्ध होते हैं, जो इसे सभी के लिए आकर्षक बनाते हैं।


3. समय की बचत:

यह उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनके पास खाना बनाने का समय नहीं होता। ऑफिस जाने वाले लोग या छात्र इसे जल्दी खा सकते हैं।


4. सामाजिक मेलजोल में उपयोग:

दोस्तों या परिवार के साथ बाहर खाने का प्लान हो तो पिज्जा, बर्गर या अन्य फास्ट फूड लोकप्रिय विकल्प बन जाते हैं।




जंक फूड के नुकसान

हालांकि जंक फूड खाने के कुछ फायदे हैं, लेकिन इसके नियमित सेवन से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। Junk food unhealthy foods होते हैं।

1. मोटापा और वजन बढ़ना:

जंक फूड में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। इसे नियमित रूप से खाने से शरीर में अतिरिक्त वसा जमा होने लगती है, जिससे मोटापा बढ़ता है।

2. पोषक तत्वों की कमी:

जंक फूड में पोषण तत्वों की कमी होती है। यह शरीर की ऊर्जा तो बढ़ाता है, लेकिन इसमें प्रोटीन, विटामिन, और फाइबर की मात्रा बेहद कम होती है।

3. हृदय रोग:

जंक फूड में ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट की अधिकता होती है, जो कोलेस्ट्रॉल स्तर को बढ़ा सकती है। इससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है।

4. मधुमेह का खतरा:

जंक फूड में शुगर की मात्रा अधिक होती है। इसका ज्यादा सेवन इंसुलिन प्रतिरोध पैदा कर सकता है, जिससे टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा रहता है।

5. पाचन तंत्र पर बुरा असर:

जंक फूड में फाइबर की कमी होती है, जिससे कब्ज और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

6. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:

शोध के अनुसार, जंक फूड का अधिक सेवन अवसाद, चिंता और मूड स्विंग्स को बढ़ा सकता है। इसमें मौजूद शुगर और एडिटिव्स मस्तिष्क के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

7. स्किन और बालों पर असर:

जंक फूड में पोषक तत्वों की कमी और वसा की अधिकता के कारण त्वचा और बालों की सेहत खराब हो सकती है। यह मुंहासे और बाल झड़ने जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।


जंक फूड का संतुलित उपयोग कैसे करें?

जंक फूड को पूरी तरह से त्यागना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में खाने से नुकसान को कम किया जा सकता है। जंक फूड खाने के दुष्परिणाम से सभी को वाकिफ होना चाहिए। junk food and healthy food में अंतर होता है।

1. संतुलन बनाए रखें:

हफ्ते में एक या दो बार ही जंक फूड खाएं। इसे नियमित भोजन का हिस्सा न बनाएं।


2. घर पर बनाएं:

जंक फूड को घर पर स्वास्थ्यवर्धक सामग्री के साथ बनाएं। उदाहरण के लिए, बर्गर में व्होल ग्रेन ब्रेड और ताजी सब्जियां शामिल करें।


3. पेय पदार्थों का ध्यान रखें:

सॉफ्ट ड्रिंक्स के बजाय ताजे फलों का रस या नारियल पानी पिएं।


4. व्यायाम करें:

जंक फूड खाने के बाद कैलोरी को बर्न करने के लिए नियमित व्यायाम करें।


5. फाइबर और प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं:

अपने आहार में फाइबर और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें ताकि शरीर को जरूरी पोषण मिल सके।


6. लेबल पढ़ें:

जब भी पैकेज्ड फूड खरीदें, तो उसके पोषण लेबल को पढ़ें और उसमें कैलोरी, शुगर, और वसा की मात्रा की जांच करें।


निष्कर्ष

जंक फूड का सेवन स्वाद और सुविधा के लिए किया जा सकता है, लेकिन इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाना खतरनाक हो सकता है। संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से हम जंक फूड के नुकसान से बच सकते हैं। हमें यह समझना होगा कि सेहत हमारी सबसे बड़ी पूंजी है, और इसे बनाए रखने के लिए सही भोजन का चयन करना बेहद जरूरी है।

इसलिए, जंक फूड का आनंद कभी-कभार लें, लेकिन स्वास्थ्यवर्धक भोजन को अपनी प्राथमिकता बनाएं। इससे न केवल आपका शरीर स्वस्थ रहेगा, बल्कि आप मानसिक रूप से भी फिट महसूस करेंगे।