भारत में स्वर्ण भंडार की मौजूदा स्थिति
भारत में स्वर्ण भंडार सदियों से विशेष महत्व रखता है। सोना सिर्फ आभूषण के रूप में ही नहीं, बल्कि वित्तीय संपत्ति के रूप में भी देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पिछले पांच वर्षों में सोने का भंडार बढ़ाने की कोशिशों ने देश को स्वर्ण भंडार में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया है। वर्ष 2024 में, घरेलू बाजार में आरबीआई के पास विदेशी भंडारण की तुलना में अधिक सोना उपलब्ध है। यह उपलब्धि कई मायनों में महत्वपूर्ण है क्योंकि अब भारत को विदेशी बैंकों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है।
स्वर्ण भंडार में 40% वृद्धि
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, भारत का स्वर्ण भंडार पिछले पांच वर्षों में 40% बढ़ा है। वर्ष 2019 में आरबीआई के पास कुल 618 टन सोना था, जो वर्ष 2024 में बढ़कर 854 टन हो गया है। इस वृद्धि का मुख्य कारण आरबीआई द्वारा घरेलू बाजार में सोने की उपलब्धता को बढ़ाना है। आरबीआई ने लगातार सोने का भंडार बढ़ाया है ताकि देश में वित्तीय स्थिरता को बनाए रखा जा सके।
घरेलू बनाम विदेशी भंडारण
वर्ष 2020 में, आरबीआई के पास 668 टन सोना था, जिसमें से 292 टन घरेलू और 367 टन विदेशी भंडारण में रखा गया था। पांच वर्षों में, घरेलू भंडारण में सोने की मात्रा में निरंतर वृद्धि देखी गई। वर्ष 2024 तक, घरेलू भंडारण में 510 टन सोना रखा गया है, जबकि विदेशी भंडारण घटकर 324 टन रह गया है। घरेलू भंडारण में यह वृद्धि न केवल देश की स्वर्ण भंडार की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है बल्कि विदेशी निर्भरता को भी कम करती है।
सोने का सुरक्षित भंडारण
आरबीआई ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास 324 टन सोने को सुरक्षित भंडारण में रखा है। इसके अलावा, 20 टन सोने को डिपॉजिट के रूप में भी रखा गया है। विदेशी बैंकों में सोने का सुरक्षित भंडारण एक पारंपरिक प्रक्रिया है, लेकिन इसके साथ ही घरेलू भंडारण को बढ़ाने का कदम इस बात का प्रतीक है कि भारत अपने स्वर्ण भंडार को अधिक स्वायत्तता के साथ संभालना चाहता है।
घरेलू भंडारण का महत्व
घरेलू भंडारण में सोने की बढ़ोत्तरी का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इससे आरबीआई के पास आर्थिक संकट के समय में देश को स्थिरता प्रदान करने के लिए एक मजबूत भंडार उपलब्ध होता है। घरेलू भंडारण में रखे गए सोने की मात्रा में वृद्धि से भारत की आर्थिक संप्रभुता को बल मिलता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार के झटकों से देश को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।
भारत की आर्थिक दृष्टि से स्वर्ण भंडार का महत्व
सोना भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था दोनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह वित्तीय संकट के दौरान आरबीआई को मुद्रा स्थिरीकरण में मदद करता है। जब भी वैश्विक बाजार में अस्थिरता होती है, तब सोना एक स्थिर निवेश माना जाता है। यह आरबीआई के लिए भी विदेशी मुद्रा भंडार का एक प्रमुख हिस्सा है।
आगे की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
भले ही आरबीआई का घरेलू सोना भंडारण बढ़ा हो, परंतु भविष्य में इस सोने की सुरक्षा और संपूर्णता को बनाए रखना एक चुनौती हो सकती है। साथ ही, वैश्विक बाजार में सोने की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का प्रभाव भी भारत के सोने के भंडार पर पड़ सकता है। फिर भी, यह स्पष्ट है कि आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहे हैं और वित्तीय मजबूती में सहायक साबित हो रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत के पास अब अपने स्वर्ण भंडार का एक बड़ा हिस्सा घरेलू भंडारण में है। पिछले पांच वर्षों में आरबीआई द्वारा किए गए प्रयासों के कारण भारत का सोना विदेशी निर्भरता से हटकर अपनी आर्थिक संप्रभुता के साथ खड़ा है। देश के आर्थिक विकास और स्थिरता के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
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