दीपावली | प्रकाश और उल्लास का पर्व

प्रस्तावना: दीपावली, जिसे दीवाली भी कहा जाता है, भारत का प्रमुख और सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में भारतीय समुदाय द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली का अर्थ होता है दीपों की पंक्ति, और यह त्यौहार अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ है, लेकिन जैन, सिख, और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इसे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से मनाते हैं।



दीपावली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: दीपावली का धार्मिक महत्व विविध धार्मिक कथाओं और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। हिन्दू धर्म में दीपावली को भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह माना जाता है कि अयोध्यावासियों ने अपने राजा के स्वागत में पूरे नगर को दीपों से सजाया था, इसलिए इस त्यौहार को "दीपों का पर्व" कहा जाता है।

जैन धर्म में दीपावली का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान महावीर के निर्वाण का दिन माना जाता है। इसी दिन भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया था और इस अवसर पर जैन धर्म के अनुयायी भगवान महावीर की शिक्षाओं का पालन करते हुए इस पर्व को मनाते हैं।

सिख धर्म में भी दीपावली का विशेष महत्व है। सिखों के लिए यह दिन गुरु हरगोबिंद जी के ग्वालियर के किले से रिहाई के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसे "बंदी छोड़ दिवस" के रूप में जाना जाता है, जहां गुरु जी ने 52 अन्य राजाओं को भी साथ में मुक्त कराया था।

दीपावली की तैयारी: दीपावली का त्यौहार केवल एक दिन का नहीं होता, बल्कि यह कई दिनों तक मनाया जाता है। इसके लिए लोग महीनों पहले से तैयारियाँ शुरू कर देते हैं। घरों की सफाई, पुताई, और सजावट के साथ-साथ लोग नए वस्त्र, आभूषण, और मिठाइयाँ खरीदते हैं। इस पर्व पर हर घर को विशेष रूप से सजाया जाता है, और विशेषकर दीयों, मोमबत्तियों, और रंग-बिरंगी लाइटों से घरों को आलोकित किया जाता है।

दीपावली से पहले धनतेरस का पर्व आता है, जिसे खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन लोग सोना, चांदी, और अन्य बर्तन खरीदते हैं। इसके बाद आता है नरक चतुर्दशी या छोटी दीवाली, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। मुख्य दीपावली का दिन लक्ष्मी पूजन का होता है, जब लोग माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपने घर में समृद्धि की कामना करते हैं। इसके बाद गोवर्धन पूजा और भाई दूज का त्यौहार आता है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।

दीपावली और पर्यावरण: दीपावली का त्यौहार जब दीपों और रंगोली तक सीमित रहता था, तब यह त्यौहार पूरी तरह से प्रकृति के अनुकूल माना जाता था। लेकिन समय के साथ, इसमें आतिशबाजी का प्रचलन भी शुरू हो गया। आतिशबाजी से जहां एक ओर लोगों में उत्साह और खुशी का माहौल बनता है, वहीं दूसरी ओर इसका नकारात्मक प्रभाव भी हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ता है। ध्वनि और वायु प्रदूषण के कारण कई लोगों को श्वास संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, आतिशबाजी से पशु-पक्षियों को भी काफी परेशानी होती है। इसलिए अब लोगों के बीच यह जागरूकता बढ़ रही है कि दीपावली को अधिक पर्यावरण अनुकूल तरीके से मनाया जाए।

दीपावली का आर्थिक महत्व: दीपावली का त्यौहार आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दौरान व्यापारिक गतिविधियाँ चरम पर होती हैं। विशेषकर वस्त्र, आभूषण, मिठाई, और इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री में भारी वृद्धि होती है। इसके अलावा, त्यौहार के दौरान लाखों दीयों, मोमबत्तियों, और सजावटी सामग्रियों का निर्माण और बिक्री होता है, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।

इसके साथ ही, इस पर्व पर गिफ्ट्स देने की परंपरा के कारण भी बाजार में रौनक रहती है। लोग अपने प्रियजनों को उपहारों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, जिससे व्यापार और उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। विशेषकर छोटे व्यवसायों और कारीगरों के लिए दीपावली का त्यौहार एक सुनहरा अवसर होता है, जहां वे अपनी कला और कौशल को प्रदर्शित कर सकते हैं।

समाज में दीपावली का महत्व: दीपावली केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक त्यौहार ही नहीं है, बल्कि यह समाज में सद्भावना, एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है। इस त्यौहार के दौरान लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, एक-दूसरे को मिठाइयाँ बांटते हैं और शुभकामनाएँ देते हैं। यह त्यौहार सभी के दिलों को जोड़ता है और समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द्र को बढ़ाता है।

इसके अलावा, दीपावली के दौरान समाज के सभी वर्गों के लोग मिलकर त्यौहार मनाते हैं, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म या पंथ के हों। यह त्यौहार इस बात का प्रतीक है कि हम सभी मानवता के एक ही सूत्र में बंधे हुए हैं। दीपावली के समय लोग अपने आसपास के गरीबों और जरूरतमंदों की मदद भी करते हैं, जिससे सामाजिक सामंजस्य और सद्भावना को बढ़ावा मिलता है।

निष्कर्ष: दीपावली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह जीवन में प्रकाश, समृद्धि और प्रेम का संदेश है। यह त्यौहार हमें यह सिखाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा सा दीपक भी उसे दूर करने में सक्षम होता है। यह पर्व हमें अच्छाई की बुराई पर, सत्य की असत्य पर, और ज्ञान की अज्ञान पर विजय का संदेश देता है। इसलिए, हमें इस त्यौहार को न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए मनाना चाहिए। दीपावली का यह संदेश हम सभी के जीवन को आलोकित करे और हमारे समाज में खुशहाली और समृद्धि लाए, यही हमारी कामना है।


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