भारत की प्रमुख नदियां | Bharat ki Pramukh nadiyan

भारत की नदियाँ सांस्कृतिक, आर्थिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यहाँ की नदियाँ न केवल कृषि और जलापूर्ति के स्रोत हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का भी अभिन्न हिस्सा हैं। भारत में अनेक नदियाँ बहती हैं, जिनमें से कुछ को पवित्र माना जाता है। वे विशाल पर्वतमालाओं से निकलकर देश के विभिन्न हिस्सों में बहती हैं और सागर से मिलती हैं। प्रमुख नदियाँ हिमालय से निकलने वाली और प्रायद्वीपीय भारत में बहने वाली नदियों में विभाजित की जा सकती हैं। इनमें गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी प्रमुख हैं।



1. गंगा नदी

गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदी है। यह उत्तर भारत के मैदानी भागों में फैली हुई है और 2,525 किमी की लंबाई में बहती है। गंगा का उद्गम उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से होता है, जहाँ इसे भागीरथी नाम से जाना जाता है। देवप्रयाग में अलकनंदा नदी के साथ मिलकर यह गंगा कहलाती है। गंगा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में मिलती है। गंगा भारत की कृषि और अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। इसे हिन्दू धर्म में माता का दर्जा दिया गया है और इसके किनारे हरिद्वार, वाराणसी और प्रयागराज जैसे धार्मिक शहर बसे हैं।

गंगा नदी की सहायक नदियाँ यमुना, घाघरा, कोसी, गंडक आदि हैं, जो गंगा के जलसंग्रहण को और बढ़ाती हैं। इसके अलावा, गंगा बेसिन देश के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है, जहाँ चावल, गेहूं, गन्ना, और दलहन की खेती होती है। हालाँकि, पिछले कुछ दशकों में औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण गंगा नदी के प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है। इसे साफ करने के लिए कई सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें प्रमुख है 'नमामि गंगे' योजना।

2. यमुना नदी

यमुना गंगा की सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी है और भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह हिमालय की यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और लगभग 1,376 किमी लंबी है। यमुना नदी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से गुजरती है और प्रयागराज में गंगा से मिलती है। यमुना का महत्व न केवल कृषि के लिए है, बल्कि यह दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों की जल आपूर्ति का भी मुख्य स्रोत है।


दिल्ली, आगरा और मथुरा जैसे शहर यमुना के किनारे बसे हैं और इस नदी का धार्मिक महत्व भी है, क्योंकि इसे यमुनाजी का निवास स्थान माना जाता है। हालांकि, दिल्ली के पास यमुना का जल अत्यधिक प्रदूषित हो गया है, जिसका मुख्य कारण औद्योगिक अपशिष्ट और शहरी कचरे का नदी में बहाया जाना है। इस समस्या को हल करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी स्थिति चिंताजनक है।

3. सरस्वती नदी

सरस्वती नदी को प्राचीन भारतीय साहित्य में पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। हालाँकि यह आज अदृश्य है, लेकिन वेदों में इसका उल्लेख प्रमुख नदियों में से एक के रूप में किया गया है। ऋग्वेद में सरस्वती को "नदियों की माता" कहा गया है, और इसे ज्ञान की देवी सरस्वती से जोड़ा गया है। इतिहासकारों और भूवैज्ञानिकों के अनुसार, सरस्वती नदी का प्रवाह राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों से होकर होता था, लेकिन भूगर्भीय परिवर्तन के कारण यह विलुप्त हो गई। आज भी कई प्रयास किए जा रहे हैं ताकि सरस्वती नदी के प्राचीन प्रवाह को समझा जा सके।

4. नर्मदा नदी

नर्मदा नदी मध्य भारत की एक प्रमुख नदी है, जो अमरकंटक के पहाड़ों से निकलती है। यह पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में जाकर मिलती है। नर्मदा की लंबाई लगभग 1,312 किमी है और यह भारत की उन कुछ नदियों में से एक है जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं। नर्मदा का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। इसे "रेवा" भी कहा जाता है और इसकी पूजा की जाती है।

नर्मदा नदी के किनारे कई महत्वपूर्ण शहर बसे हैं, जैसे जबलपुर और होशंगाबाद। इसके अलावा, नर्मदा घाटी परियोजना, जिसमें सरदार सरोवर बांध भी शामिल है, भारत की सबसे बड़ी जल परियोजनाओं में से एक है। यह परियोजना कृषि, बिजली उत्पादन और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी की सहायक नदियाँ तवा, हिरण और शक्कर प्रमुख हैं।

5. गोदावरी नदी

गोदावरी दक्षिण भारत की सबसे लंबी नदी है और इसे दक्षिण की गंगा के रूप में भी जाना जाता है। यह महाराष्ट्र के नासिक जिले से निकलती है और लगभग 1,465 किमी बहने के बाद बंगाल की खाड़ी में मिलती है। गोदावरी नदी का बेसिन भारत का दूसरा सबसे बड़ा जलग्रहण क्षेत्र है, जो महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के बड़े हिस्सों को कवर करता है।


गोदावरी के किनारे कई धार्मिक स्थल स्थित हैं, जैसे नासिक और त्र्यंबकेश्वर। इस नदी का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह दक्षिण भारत के प्रमुख कृषि क्षेत्रों को जल प्रदान करती है। गोदावरी नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ प्राणहिता, इंद्रावती, मंजीरा और साबरी हैं।

6. कृष्णा नदी

कृष्णा नदी दक्षिण भारत की एक अन्य प्रमुख नदी है, जो महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से निकलती है और लगभग 1,290 किमी लंबी है। यह कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। कृष्णा नदी का कृषि के क्षेत्र में विशेष महत्व है, क्योंकि यह बड़े हिस्से में सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है।

कृष्णा नदी पर कई बड़े बांध बने हुए हैं, जैसे नागार्जुन सागर बांध और श्रीशैलम बांध। यह नदी अपने समृद्ध जलसंसाधनों के लिए जानी जाती है और दक्षिण भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करती है। कृष्णा की सहायक नदियों में भीमा, तुंगभद्रा और घटप्रभा प्रमुख हैं।

7. कावेरी नदी

कावेरी नदी दक्षिण भारत की एक और प्रमुख नदी है, जो कर्नाटक के कोडागु जिले से निकलती है और तमिलनाडु से होकर बहती है। इसकी लंबाई लगभग 805 किमी है। कावेरी नदी को कर्नाटक और तमिलनाडु की जीवनरेखा माना जाता है, क्योंकि यह इन राज्यों के बड़े हिस्सों को सिंचाई का पानी प्रदान करती है। कावेरी का बेसिन कृषि उत्पादन में समृद्ध है और यहाँ पर धान, गन्ना और अन्य फसलों की खेती की जाती है।

कावेरी नदी पर भी कई बड़े बांध बने हैं, जैसे कृष्णराज सागर बांध और मेट्टूर बांध। इसके अलावा, कावेरी का धार्मिक महत्व भी है, और इसे तमिल साहित्य में अत्यधिक महत्ता दी गई है। कावेरी जल विवाद भी दोनों राज्यों के बीच एक प्रमुख मुद्दा है, जिसमें दोनों राज्य नदी के जल वितरण पर विवाद करते रहते हैं।

8. ब्रह्मपुत्र नदी

ब्रह्मपुत्र नदी भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की एक प्रमुख नदी है। यह तिब्बत से निकलती है, जहाँ इसे यारलुंग त्संगपो कहा जाता है, और अरुणाचल प्रदेश से भारत में प्रवेश करती है। ब्रह्मपुत्र की लंबाई लगभग 2,900 किमी है, और यह असम, बांग्लादेश और तिब्बत से होकर बहती है। भारत में यह असम और अरुणाचल प्रदेश के विशाल क्षेत्रों को सींचती है और असम के कृषि और आर्थिक जीवन का प्रमुख आधार है।

ब्रह्मपुत्र नदी बाढ़ की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हर वर्ष असम और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ का कारण बनती है, जिससे स्थानीय लोग प्रभावित होते हैं। इसके अलावा, यह नदी जल परिवहन और बिजली उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

भारत की नदियाँ यहाँ की कृषि, जल आपूर्ति, बिजली उत्पादन और सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियाँ न केवल भौगोलिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी इनका विशेष महत्व है। हालाँकि, आधुनिक समय में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के कारण इन नदियों की स्थिति में कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।


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