shamshan Ghat ke bhoot Se Hui gutham guttha jivan ke safar mein | श्मशान घाट के भूत से हुई गुत्थम गुथा जीवन के सफर में


मेरे द्वारा अपनी Biography में अपनी Website   hindidada.in पर एक पोस्ट जिसका शीर्षक जिनका मिलना नहीं होता मुकद्दर में उनसे मोहब्बत कसम से कमाल की होती है लिखी थी, जिसमें मेरे द्वारा विस्तार से बताया गया था की किस तरह छोटी सी कच्ची उम्र में ही मुझे अकेले घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर जाकर तरह की कठिनाइयों को झेलते हुए एक छोटी सी दुकान करनी पड़ी थी और किस तरह मैंने जीवन में संघर्ष किया। 

दोस्तों,
          आज मैं इस पोस्ट में बताऊंगा की उस दौरान लगभग 18 वर्ष की उम्र में मेरा भूत | Ghost से सामना हुआ और कैसे मेरी भूत से गुत्थम गुत्था हुई।  भूत|Ghost से मेरी भिड़ंत लगभग पूरी रात ही चलती  रही। यह मेरे साथ उस दौरान बीती हुई सच्ची घटना हैै, जिसका मेरे एक मित्र जो कि यमुनानगर में ही किसी कॉलेज में वर्तमान में लेक्चरर हैै, उसको अच्छी तरह से मालूम है। मेरा वह दोस्त उस समय बेरोजगार था तथा मेरे सामने ही उसकी हरियाणा सरकार में नौकरी लग गई थी।

           हमने बड़े बुजुर्गों से अक्सर भूत प्रेत के बारे में बहुत से  किससे बचपन में सुनें है। कई लोगों ने यह भी दावा किया की उन्होंने भूत को देखा है, यह भी कई बार देखा जाता है की किसी व्यक्ति के ऊपर भूत का साया आ जाता है, जिसे प्रेत बाधा कहते हैं। विभिन्न देशों में कई स्थानों पर ऐसा दावा किया जाता है कि वहां पर भूतों का निवास है। इसके अलावा हमने भूतिया महल, भूतिया खंडहर, भूतिया मकान | ghost house आदि के बारे में भी सुना है। ऐसा भी सुनने में कई बार आ जाता है कि फला पेड़ पर भूत रहते हैं। इंसान और भूत में बस एक ही फर्क होता है कि इंसान के पास शरीर होता है, जबकि the ghost | भूत के पास शरीर नहीं होता।

एक खतरनाक भूत की सच्ची भूतिया कहानी | Ek Khatarnak bhoot ki sacchi bhutiya kahani 



जैसा कि मैं पूर्व में ही बता चुका हूं की मैं यमुनानगर से लगते हुए एक एरिया में बचपन में ही दुकान किया करता था। यह वाक्य मेरी साथ जब हुआ, उस समय मेरी उम्र लगभग 18 वर्ष हो चुकी थी मैं कोई भूतिया कहानी | ghost stories या भूत वाली कहानी नहीं सुना रहा हूं, अपितु अपनी जीवनी | biography  में  journey of life | जीवन का सफर में अपने साथ घटी हुई एक सच्ची घटना बता रहा हूं।

 जैसे कि मैंने पूर्व की पोस्ट बताया था की वक्त के साथ मेरा ध्यान अपने काम पर केन्द्रित हो गया था। पूरा दिन मैं सुबह 5:30 बजे से लेकर रात को लगभग 11:00 बजे तक दुकान खोलता था। मेरे दोस्तों का मेरे दुकान पर आने का समय लगभग रात को 10:30 होता था, उसके बाद हम दुकान बंद करके घूमने निकल जाते थे। एक दिन मेरे साथ एक ऐसा वाक्य हुआ कि एक खतरनाक भूत के साथ मेरी भिड़ंत हो गई। 



असल में हम रात को जिधर घूमने जाते थे, वह एक विरान सड़क थी, मेरी दुकान से लगभग 1 किलोमीटर आगे एक shamshan ghat | श्मशान घाट भी था। रास्ते में shamshan bhumi लगभग 100 फिट दूर थी। तांत्रिक लोग ऐसा दावा करते हैं की श्मशान घाट की राख से दुश्मन का नाश भी हो सकता है। उस दिन मैं और मेरा दोस्त रोज की तरह उधर घूमने गए हुए थेे, घूम कर जब हम वापस आए तो मेरे दोस्त मुझे दुकान पर छोड़ कर चला गया और मैं दुकान का शटर गिरा कर दुकान में आ गया। मेरी दुकान के पीछे भी एक दूसरा दरवाजा था जिसके बाहर मेरी चारपाई खुले में रखी रहती थी, जिस पर मैं सोता था। उस दिन शटर गिराकर मुझे ना जाने क्यों अपने शरीर में कुछ भारीपन तथा घबराहट का एहसास हुआ, मैंने उस समय तक दुकान के शटर में ताले भी नहीं लगाए थे। मैं ऐसे ही पीछे चारपाई पर जाकर लेट गया, बस यहीं से असली भूत की कहानी शुरू हो गई। वैसे तो मैं भूत प्रेत पर विश्वास नहीं करता था तथा लोगों को भी हंसकर कहता था की भूत कैसे होते हैं अगर उन्होंने देखे हो तो बतााओ। किसी डरावनी भूत की फोटो दिखाओ, लेकिन सभी हंसकर टाल देते थे।

 जैसे कि मैंने बताया की मैं चारपाई पर लेट गया था, मुझे ऐसा एहसास हुआ की किसी अनजानी ताकत ने मुझे कंधों से दबा लिया है।  मुझे शरीर में भूत होने के लक्षण महसूस होने लगे, क्योंकि मैं बचपन से ही बहुत ज्यादा निडर और दबंग किस्म का इंसान रहा हूं, इसलिए मुझे डर नहीं लगा, लेकिन यह विश्वास हो गया की भूत होते हैं। उसके बाद मेरा उस  भूत से पूरी रात ही  द्वंद चलता रहा।




 उस भूत को देख तो नहीं पा रहा था लेकिन मुझे भूत की मौजूदगी का अहसास था। मैं पूरी रात ही भूत प्रेत भगाने का हनुमान मंत्र यानी हनुमान चालीसा का जाप करता रहा, क्योंकि मुझे यह विश्वास हो गया था कि वह असली भूत है और भूत प्रेत भगाने का हनुमान मंत्र इस वक्त मेरी सबसे बड़ी ताकत था।

लगभग पूरी रात ही मेरी भूत से गुत्थम गुथा चलती रही। सुबह 6:00 बजे के आसपास ही मैं सामान्य हो गया। पूरी रात ही मैं सो नहीं पाया और तो और मैं अपनी चारपाई पर बिस्तर भी नहीं लगा पाया था। सुबह उठकर मैं पूर्व की तरह अपने दिनचर्या में मग्न हो गया और सामान्य दिनों की तरह अपनी दुकान का काम संभालने लगा। दिन में मुझे रात्रि घटना का ध्यान नहीं रहा, शायद इसकी वजह अपने काम के प्रति निष्ठावान होना था। मुझे ऐसा भी लगा की शायद यह सब मेरा वहम हो। अगले दिन जैसे ही रात्रि के 10:00 मैं दुकान पर बैठा हुआ था, ना जाने क्यों मेरे शरीर में फिर से वही घबराहट होने शुरू हो गई और मेरा शरीर दुकान पर बैठे ही कांपने लग गया, संयोग से मेरा मित्र लगभग 10:00 बजे मेरी दुकान पर आ गया, उसने मेरी यह हालत देखी तो मैंने उसको सब कुछ सच-सच बता दिया। उसने मुझे डांट लगाई की मैंने दिन में यह सब उसको क्यों नहीं बताया वरना वह मुझे किसी बाबा या झाड़-फूंक वाले के पास लेकर जाता।




 अब समस्या विकट आ गई थी, समझ में नहीं आ रहा था की इस समस्या का हल कैसे निकाला जाए। मेरा दोस्त मेरे लिए बहुत ही ज्यादा चिंतित था, उसने कुछ सोचने के बाद पीछे कमरे में से मेरी साइकिल निकालकर लाया और दुकान के शटर बंद कर ताला लगा कर मुझे साइकिल पर बैठा एक अंजान सफर पर निकल पड़ा। मैंने जब मंजिल के बारे में पूछा तो उसने मुझे डांट लगाई और चुपचाप बैठे रहने को कहा। 

भूत का मुकाबला करने के लिए मुझे दो डोज  ठेठ देशी दवाई के दिए गए



लगभग 15 मिनट बाद वह मुझे अंग्रेजी शराब की दुकान के सामने ले गया और वहां से एक   ब्लैक डॉग व्हिस्की | Black Dog Whisky  नाम की थी, का अद्धा ले ली और मेरे साथ ही वापस मेरे दुकान पर आ गया। उसने मुझे पीछे कमरे में बिठाया और जबरदस्ती मुझे 2 पेग व्हिस्की के पिला दिए और सिगरेट भी पिलाई। मुझ पर कुछ नशा हावी हो गया था तथा मैं पहले से कुछ बेहतर महसूस कर रहा था। उसने कहा कि अगर डर लग रहा है तो मैं रात को यही सो जाता हूं। लेकिन जैसा की मैंने पहले बताया कि मैं बहुत ही निडर किस्म का इंसान था, मैंने कहा अब आप जाओ मैं भूत को खुद संभाल लूंगा। वह चला गया, उसके बाद मैंने भूत भूत भूत करके खूब शोर मचाया तथा भूत को बहुत सी गालियां भी दी तथा कहा की , कहां छुपा है, सामने आ। लेकिन भूत का कोई भी अता पता अब नहीं था। 

इस घटना को घटित हुए वर्षों बीत गए, मगर अब भी अब इस घटना को याद कर बरबस ही होठों पर मुस्कुराहट आ जाती है।


भूत कैसे बनते हैं
भारतीय लोक कथाएं और संस्कृति के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की समय से पहले आकस्मिक मृत्यु हो जाती है और उसकी कोई इच्छा पूर्ण नहीं हो पाती तथा वह पुनर्जन्म  के लिए स्वर्ग नरक में नहीं जा पाते हैं, वह भूत बन जाते हैं। भूत इस दुनिया के बहुत ही अलौकिक प्राणी होते हैं, जो किसी मृतक व्यक्ति की आत्मा से बनते हैं। हमारे बड़े बुजुर्गों के अनुसार आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं जिसमें प्रथम जीवात्मा होती है जो भौतिक शरीर में वास करती है, अन्य दो प्रेत आत्मा और सूक्ष्मआत्मा होते हैं।


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