भारत में कृषि का महत्व क्या है | कृषि क्या है

 भारत में कृषि का महत्व क्या है तथा कृषि क्या है इसके बारे में हम आज विस्तार से जानकारी | jankari देंगे।


भारत एक कृषि प्रधान देश है और देश की लगभग 70 परसेंट आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी हुई है। भारत विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। वर्तमान समय में भारत विश्व में कृषि उत्पादन के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी है। भारत में विश्व में सबसे ज्यादा गेहूं, चावल, दूध, मसाले और दालों का उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त भारत फलों, सब्जियों, गन्ना, चाय, शुगर | चीनी के उत्पादन में दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है। भारत में कृषि उद्योग अर्थव्यवस्था की रीढ़ के समान है


कृषि की उत्पत्ति | Origin of agriculture




कृषि को मानव जीवन की एक महान खोज भी कहा जा सकता है। पृथ्वी | earth के मानव इतिहास के शुरुआती चरण में मानव जीवन के विकास के क्रम में मानव पशुओं के समान ही पेड़ों पर और गुफाओं में रहता था तथा पेड़ों पर लगे फलों और आखेट के द्वारा ही अपना पेट भर पाता था, पर मानव जीवन के विकास के साथ-साथ सभ्यताओं का भी जन्म हुआ और मानव के जीवन क्रम में कृषि एक वरदान की तरह आया और इसने मानव को पूर्ण रूप से बदलकर रख दिया।

 कृषि, अग्नि तथा पहिया, भूमि पर यह तीन ऐसे अविष्कार थे जिसने आज के मानव को सभ्य मानव का कहलाने का मौका दिया। कृषि मानव जीवन का एक प्रमुख अविष्कार तथा विकास स्तंभ था, जिसके कारण सभ्यताओं का उदय हुआ। शुरुआती चरण में इसमें पालतू जानवरों मुख्य तौर पर कुत्तों, बकरियों, भेड़ों और घोड़ों को भी पाला जाने लगा तथा छोटे-छोटे क्यारियों में खेत बनाकर खेती की जाने लगी, लेकिन जैसे-जैसे सभ्यताओं का उदय हुआ, नित नए नए प्रयोग किए जाने लगे। मानव उर्वरक का इस्तेमाल भी सीख गया और आज की कृषि अति आधुनिक कृषि है। आज कृषि के उत्पादन में तमाम वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जाती है, जिसके कारण कृषि के पैदावार में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी हुई है।


कृषि क्या है और यह कितने प्रकार की होती है | what is agriculture and its types





मानव को प्रकृति द्वारा दिए गए सुंदर उपहार धरती, हवा और सूर्य का इस्तेमाल करके अपने भोजन, कपड़ा, इंधन आदि की प्रारंभिक पूर्ति के लिए मनुष्य द्वारा जो उत्पादन किया जाता है, उन्हें ही कृषि कहा जाता है। कृषि के लिए मिट्टी, पानी, हवा और सूरज की रोशनी की आवश्यकता पडती है, जोकि मानव को ईश्वरीय देन है।
यह भी कहां जा सकता है की इस धरा पर की जाने वाली वह समस्त क्रियाएं जो फसलों के उत्पादन और पशुपालन के लिए की जाती है, कृषि के अंतर्गत आते हैं।


कृषि कई प्रकार की हो सकती है | Agriculture can be of many types





 जैसे : मिश्रित खेती | mixed farming , रोपण कृषि | plantation farming  , पट्टीदार खेती | strip cropping , रिले क्रॉपिंग | relay cropping  , कृषि वानिकी | agro forestry , मिश्रित कृषि  | mixed cropping , समोच्च कृषि |  contour pharming  संरक्षित खेती | conjurrative agriculture आदि।



भारतीय कृषि के लिए उपलब्ध सिंचाई के साधन | means of irrigation available for Indian agriculture


भारतीय कृषि मुख्य तौर पर मानसून आधारित कृषि है। जिस वर्ष में भारत में मानसून समय पर आता है और उचित मात्रा में बरसात होती है, उस वर्ष कृषि की पैदावार अच्छी होती है। इसके विपरीत जिस वर्ष मानसून में बारिश की मात्रा कम होती है और मानसून भी समय पर नहीं आता उस वर्ष भारत की कृषि पर भी इसका दुष्प्रभाव देखा जाता है और कृषि पैदावार कम हो जाती है।

 समय के साथ-साथ भारत सरकार ने देश में कई बांध सिंचाई के लिए बनवाए और नहरों का जाल भी बिछवाया, जिससे भारतीय कृषि में आमूलचूल परिवर्तन आए। नहरों के अलावा भारत में तालाबों से भी कृषि की जाती है, इसके अतिरिक्त ट्यूबवेल भी कृषि के लिए वरदान बनकर सामने आया और भारी संख्या में किसान ट्यूबेल से अपने खेतों की सिंचाई करते हैं। कई जगह सिंचाई के लिए नदियों का पानी भी इस्तेमाल किया जाता है। भारत में भी लाखों हेक्टर जमीन नदियों के पानी से सिंचित होती है और उसमें कृषि कार्य किया जाता है।



कृषि प्रणाली क्या है | what is farming system


आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों के चलते हुए जिसके अंतर्गत कोई कृषि कार्य किया जाता हो उसे ही कृषि प्रणाली कहा जाता है। इस प्रणाली के अंतर्गत -

निगमित खेती | corporate farming 

पूंजीवादी खेती | capitalistic arming
 
 सामूहिक खेती | collective farming 

 राजकीय खेती | state pharming

सहकारी खेती |  Cooperative pharming  

कृषि यंत्रीकरण | agriculture mechanization 
आदि आते हैं।



ऋतुओं के आधार पर फसलों का वर्गीकरण | classification off crops on the basis of seasons



भारत में मुख्य तौर पर चार ऋतु होती है, जिसमें ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु, वर्षा ऋतु और बसंत ऋतु है। भारत में ऋतु के हिसाब से ही फसलों का वर्गीकरण होता है। प्रत्येक ऋतु में अनुकूल पैदावार देने वाले कृषि उपज को बोया जाता है,  इसका मुख्य उद्देश्य अच्छी पैदावार लेना और मौसम के अनुकूल फसलों का बोया जाना होता है। भारत में खेती मुख्य तौर पर मानसून पर आधारित होती है।


रबी की फसलें : रबी की फसलों में मुख्य तौर पर उड़द, गेहूं, चना, जो, मटर, सरसों, मसूर तंबाकू, उड़द आदि बोए जाते हैं।


खरीफ की फसलें : खरीफ की फसलों में भारतीय किसान आमतौर पर मक्का, धान, बाजरा, मूंगफली, लोबिया, कपास, तिल, ज्वार, गवार, सोयाबीन, गन्ना, ढेंचा, भिंडी आदि की बुवाई करते हैं।


जायद की फसलें : भारत में जायद की फसलों में आमतौर पर मिर्च, खीरा, तोरई लौकी टिंडा कद्दू खरबूजा खरबूजा सूरजमुखी, तोरई, मिर्च, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, खीरा, ककड़ी आदि की फसलें बोई जाती है।


फसलों का वर्गीकरण | classification of crops


हम फसलों का फसलो का वर्गीकरण निम्न तरह से कर सकते हैं ।




 जैसे : दलहनी फसलें, रेशेदार फसलें, औषधीय फसलें, शर्करा वाली फसलें, जड़ और कंद वाली फसलें, तिलहनी फसलें, चारा देने वाली फसलें, अन्न पैदा करने वाली फसलें, दलहनी फसलें, रेशेदार फसलें, मसाले वाली फसलें, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन आदि।

गन्ने की खेती से खेतों से बंपर पैदावार कैसे लें | Sugarcane Cultivation

आज की पोस्ट में हम गन्ने की खेती के बारे में जानकारी देंगे, जैसे:  गन्ना की खेती कैसे किया जाता है, गन्ने की खेती कहां होती है, 1 एकड़ में कितना गन्ना पैदा हो सकता है, गन्ने का सबसे अच्छा बीज कौन सा है, bhumi में 1 एकड़ गन्ना की खेती के लिए कितना बीज लगेगा, भूमि में गन्ना बोने का समय कौन सा उचित होता है, गन्ना से क्या-क्या बनता है आदि।

गन्ना की खेती कैसे की जाती है | Ganna ki kheti kaise ke jata hai 





खेत की तैयारी : गन्ने की खेती करने के लिए सर्वप्रथम bhumi के खेत को गहरी जताई करने के बाद पाटा चलाकर समतल किया जाता है, भूमि में जुताई करने के लिए हैरो, कल्टीवेटर या रोटावेटर का इस्तेमाल किया जाता है। गन्ने की खेती के लिए रेतीली मिट्टी जिसमें पानी की अच्छी निकासी हो, काली भारी मिट्टी और पीली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। गहरी जुताई के बाद पाटा मारकर खेत समतल कर लेना चाहिए। बुवाई से पूर्व मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए तथा जुताई गहराई तक करनी चाहिए, क्योंकि गन्ने की जड़े गहराई तक जाती है। अगर जितनी अच्छी गहराई तक जुताई होगी उतने ही अच्छे पौधों को पोषक तत्व मिलेंगे। गन्ने की फसल बहु वर्षीय होती है तथा एक बार बोने के बाद किसान कई वर्ष तक आमतौर पर 3 वर्ष तक उसकी फसल काटते हैं। 

गन्ना बीज का चुनाव तथा उसकी मात्रा : गन्ना विशेषज्ञ तथा अनुभवी किसानों के अनुसार गन्ना बीज के लिए 9 से 10 माह के गन्ने के बीज का इस्तेमाल अच्छा माना जाता है, बीज के लिए गन्ना मोटा ठोस वह रोग रहित होना अच्छा माना जाता है। जिस गन्ने की आंखें अंकुरित हो या उसकी जड़े निकल आई हों ऐसे गन्ना बीज का  उपयोग ना करना ही  हितकर होता है। एक एकड़ गन्ना बोने के लिए आमतौर पर 10 कुंटल गन्ना बीज की आवश्यकता पढ़ती है, दो आंख के टुकड़े लगाने पर 20 कुंटल तक बीज लग सकता है। गन्ने की बीज की कटाई करने के लिए तेज धार वाले औजार  जैसे गंडासा से गन्ने की कटाई करनी चाहिए। कटाई करते वक्त यह ध्यान रखना चाहिए की गन्ने की बीज की आंख से कम से कम 3 इंच पहले उसकी कटाई हो।




गन्ने की नाली से नाली तक की दूरी : गन्ने की नाली से नाली तक की दूरी लगभग 3 फुट से 4 फुट के बीच में होनी चाहिए इसके कई लाभ मिलते हैं, जैसे:बीज की मात्रा कम लगती है, सूर्य प्रकाश तथा हवा अधिक मिलने से गन्ना अच्छा मेडा मार लेता है, जिससे उपज अधिक होती है। इसके अलावा गन्ने की नलाई, गुड़ाई भी अच्छी तरह से हो जाती है।

गन्ना बोने का समय : bhumi में गन्ना बोने का सर्वोत्तम समय अक्टूबर माह से नवंबर माह तक माना जाता है तथा इस समय गन्ना बोने से अच्छी पैदावार मिलने की उम्मीद रहती है। बसंत कालीन गन्ना फरवरी तक लगाया जा सकता है।


उचित उर्वरक का प्रयोग : गन्ने की अच्छी पैदावार लेने के लिए उचित उर्वरकों का इस्तेमाल आवश्यक होता है। सर्वप्रथम गन्ना बीज बोने से पूर्व खेत में गोबर खाद या कंपोस्ट खाद डालनी चाहिए। गांव में इसको देसी खाद भी बोला जाता है तथा यह खाद जानवरों के गोबर, सूखी पत्तियां और घास फूस से तैयार होती है! इसके अलावा आजकल पोल्ट्री फार्म से ली गई मुर्गी खाद बायो कंपोस्ट भी बहुत किसानों के बीच में प्रसिद्ध हो रही है। खेत में 1 एकड़ जगह के लिए लगभग 70 कुंटल गोबर खाद डालना अच्छा माना जाता है, पूरे खेत में खाद मिलाकर अच्छी तरह से जुताई कर लेनी चाहिए। इसके अलावा गन्ना की फसल बोते समय जिंक, पोटाश आदि का इस्तेमाल मिट्टी की जांच उपरांत एक्सपर्ट की राय लेकर उचित मात्रा में करना चाहिए। फसल बड़ी होने पर यूरिया का इस्तेमाल भी उचित मात्रा में करना चाहिए, गन्ने को तीन चार बार निराई गुड़ाई की भी आवश्यकता पड़ती है, इससे खरपतवार का नियंत्रण होता है। वैज्ञानिक विधि को अपनाकर गन्ना की खेती करने से किसान भाई अधिक गन्ने की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

गन्ने की सिंचाई : गन्ने की सिंचाई खेत में खेत की मिट्टी जलवायु पर निर्भर करते हैं अगर गन्ने के खेत में रेत की मात्रा अधिक होगी तो सिंचाई की आवश्यकता भी अधिक होगी। इसके विपरीत अगर खेत की मिट्टी काली मिट्टी तथा उपजाऊ होगी तो उसमें खेत की मात्रा भी सिंचाई की मात्रा भी कम  होगी, गन्ने की सिंचाई नहर के पानी से या ट्यूबवेल के पानी से आसानी से की जाती है।

गन्ने की उपज : ऐसा माना जाता है की किसान को प्रति एकड़ जमीन में 300 से 400 कुंटल तक गन्ने की पैदावार आसानी से प्राप्त हो जाती है। लेकिन वर्तमान में ऐसी कई नई उन्नत किस्में गन्ना की आ चुकी है, जिससे पैदावार में अच्छी बढ़ोतरी हुई है और यह प्रति एकड़ उपज 300 से 500 कुंटल तक हो सकती है।


गन्ना से क्या-क्या बनता है : भारत में गन्ना से मुख्य तौर पर  चीनी, गुड़, शक्कर, सिरका बनता है। वर्तमान में भारत सरकार के प्रोत्साहन से बड़ी मात्रा में गन्ने से एथेनॉल भी बनाया जा रहा है जिसको पेट्रोल में मिक्स किया जा रहा है।


भारत में गन्ने की खेती भारत में गन्ने की फसल को नकदी फसल के रूप में जाना जाता हैैै, भारत दुनिया में गन्ने का दूसरा सबसेे देश है भारत में लाखों लोग किसान गन्ने की खेती करते हैं, गन्ने की खेती लाखों लाखों लोगों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करते हैं। भारत में सैकड़ों चीनी मिले वर्तमान में मौजूद है, भारत में बड़ी संख्या में चीनी का उत्पादन भी किया जाता है। भारत पूरे विश्व में चीनी के उत्पादन में नंबर दो स्थान पर स्थान पर विराजमान है, चीनी के निर्यात से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी देश को मिलती है।

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shamshan Ghat ke bhoot Se Hui gutham guttha jivan ke safar mein | श्मशान घाट के भूत से हुई गुत्थम गुथा जीवन के सफर में


मेरे द्वारा अपनी Biography में अपनी Website   hindidada.in पर एक पोस्ट जिसका शीर्षक जिनका मिलना नहीं होता मुकद्दर में उनसे मोहब्बत कसम से कमाल की होती है लिखी थी, जिसमें मेरे द्वारा विस्तार से बताया गया था की किस तरह छोटी सी कच्ची उम्र में ही मुझे अकेले घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर जाकर तरह की कठिनाइयों को झेलते हुए एक छोटी सी दुकान करनी पड़ी थी और किस तरह मैंने जीवन में संघर्ष किया। 

दोस्तों,
          आज मैं इस पोस्ट में बताऊंगा की उस दौरान लगभग 18 वर्ष की उम्र में मेरा भूत | Ghost से सामना हुआ और कैसे मेरी भूत से गुत्थम गुत्था हुई।  भूत|Ghost से मेरी भिड़ंत लगभग पूरी रात ही चलती  रही। यह मेरे साथ उस दौरान बीती हुई सच्ची घटना हैै, जिसका मेरे एक मित्र जो कि यमुनानगर में ही किसी कॉलेज में वर्तमान में लेक्चरर हैै, उसको अच्छी तरह से मालूम है। मेरा वह दोस्त उस समय बेरोजगार था तथा मेरे सामने ही उसकी हरियाणा सरकार में नौकरी लग गई थी।

           हमने बड़े बुजुर्गों से अक्सर भूत प्रेत के बारे में बहुत से  किससे बचपन में सुनें है। कई लोगों ने यह भी दावा किया की उन्होंने भूत को देखा है, यह भी कई बार देखा जाता है की किसी व्यक्ति के ऊपर भूत का साया आ जाता है, जिसे प्रेत बाधा कहते हैं। विभिन्न देशों में कई स्थानों पर ऐसा दावा किया जाता है कि वहां पर भूतों का निवास है। इसके अलावा हमने भूतिया महल, भूतिया खंडहर, भूतिया मकान | ghost house आदि के बारे में भी सुना है। ऐसा भी सुनने में कई बार आ जाता है कि फला पेड़ पर भूत रहते हैं। इंसान और भूत में बस एक ही फर्क होता है कि इंसान के पास शरीर होता है, जबकि the ghost | भूत के पास शरीर नहीं होता।

एक खतरनाक भूत की सच्ची भूतिया कहानी | Ek Khatarnak bhoot ki sacchi bhutiya kahani 



जैसा कि मैं पूर्व में ही बता चुका हूं की मैं यमुनानगर से लगते हुए एक एरिया में बचपन में ही दुकान किया करता था। यह वाक्य मेरी साथ जब हुआ, उस समय मेरी उम्र लगभग 18 वर्ष हो चुकी थी मैं कोई भूतिया कहानी | ghost stories या भूत वाली कहानी नहीं सुना रहा हूं, अपितु अपनी जीवनी | biography  में  journey of life | जीवन का सफर में अपने साथ घटी हुई एक सच्ची घटना बता रहा हूं।

 जैसे कि मैंने पूर्व की पोस्ट बताया था की वक्त के साथ मेरा ध्यान अपने काम पर केन्द्रित हो गया था। पूरा दिन मैं सुबह 5:30 बजे से लेकर रात को लगभग 11:00 बजे तक दुकान खोलता था। मेरे दोस्तों का मेरे दुकान पर आने का समय लगभग रात को 10:30 होता था, उसके बाद हम दुकान बंद करके घूमने निकल जाते थे। एक दिन मेरे साथ एक ऐसा वाक्य हुआ कि एक खतरनाक भूत के साथ मेरी भिड़ंत हो गई। 



असल में हम रात को जिधर घूमने जाते थे, वह एक विरान सड़क थी, मेरी दुकान से लगभग 1 किलोमीटर आगे एक shamshan ghat | श्मशान घाट भी था। रास्ते में shamshan bhumi लगभग 100 फिट दूर थी। तांत्रिक लोग ऐसा दावा करते हैं की श्मशान घाट की राख से दुश्मन का नाश भी हो सकता है। उस दिन मैं और मेरा दोस्त रोज की तरह उधर घूमने गए हुए थेे, घूम कर जब हम वापस आए तो मेरे दोस्त मुझे दुकान पर छोड़ कर चला गया और मैं दुकान का शटर गिरा कर दुकान में आ गया। मेरी दुकान के पीछे भी एक दूसरा दरवाजा था जिसके बाहर मेरी चारपाई खुले में रखी रहती थी, जिस पर मैं सोता था। उस दिन शटर गिराकर मुझे ना जाने क्यों अपने शरीर में कुछ भारीपन तथा घबराहट का एहसास हुआ, मैंने उस समय तक दुकान के शटर में ताले भी नहीं लगाए थे। मैं ऐसे ही पीछे चारपाई पर जाकर लेट गया, बस यहीं से असली भूत की कहानी शुरू हो गई। वैसे तो मैं भूत प्रेत पर विश्वास नहीं करता था तथा लोगों को भी हंसकर कहता था की भूत कैसे होते हैं अगर उन्होंने देखे हो तो बतााओ। किसी डरावनी भूत की फोटो दिखाओ, लेकिन सभी हंसकर टाल देते थे।

 जैसे कि मैंने बताया की मैं चारपाई पर लेट गया था, मुझे ऐसा एहसास हुआ की किसी अनजानी ताकत ने मुझे कंधों से दबा लिया है।  मुझे शरीर में भूत होने के लक्षण महसूस होने लगे, क्योंकि मैं बचपन से ही बहुत ज्यादा निडर और दबंग किस्म का इंसान रहा हूं, इसलिए मुझे डर नहीं लगा, लेकिन यह विश्वास हो गया की भूत होते हैं। उसके बाद मेरा उस  भूत से पूरी रात ही  द्वंद चलता रहा।




 उस भूत को देख तो नहीं पा रहा था लेकिन मुझे भूत की मौजूदगी का अहसास था। मैं पूरी रात ही भूत प्रेत भगाने का हनुमान मंत्र यानी हनुमान चालीसा का जाप करता रहा, क्योंकि मुझे यह विश्वास हो गया था कि वह असली भूत है और भूत प्रेत भगाने का हनुमान मंत्र इस वक्त मेरी सबसे बड़ी ताकत था।

लगभग पूरी रात ही मेरी भूत से गुत्थम गुथा चलती रही। सुबह 6:00 बजे के आसपास ही मैं सामान्य हो गया। पूरी रात ही मैं सो नहीं पाया और तो और मैं अपनी चारपाई पर बिस्तर भी नहीं लगा पाया था। सुबह उठकर मैं पूर्व की तरह अपने दिनचर्या में मग्न हो गया और सामान्य दिनों की तरह अपनी दुकान का काम संभालने लगा। दिन में मुझे रात्रि घटना का ध्यान नहीं रहा, शायद इसकी वजह अपने काम के प्रति निष्ठावान होना था। मुझे ऐसा भी लगा की शायद यह सब मेरा वहम हो। अगले दिन जैसे ही रात्रि के 10:00 मैं दुकान पर बैठा हुआ था, ना जाने क्यों मेरे शरीर में फिर से वही घबराहट होने शुरू हो गई और मेरा शरीर दुकान पर बैठे ही कांपने लग गया, संयोग से मेरा मित्र लगभग 10:00 बजे मेरी दुकान पर आ गया, उसने मेरी यह हालत देखी तो मैंने उसको सब कुछ सच-सच बता दिया। उसने मुझे डांट लगाई की मैंने दिन में यह सब उसको क्यों नहीं बताया वरना वह मुझे किसी बाबा या झाड़-फूंक वाले के पास लेकर जाता।




 अब समस्या विकट आ गई थी, समझ में नहीं आ रहा था की इस समस्या का हल कैसे निकाला जाए। मेरा दोस्त मेरे लिए बहुत ही ज्यादा चिंतित था, उसने कुछ सोचने के बाद पीछे कमरे में से मेरी साइकिल निकालकर लाया और दुकान के शटर बंद कर ताला लगा कर मुझे साइकिल पर बैठा एक अंजान सफर पर निकल पड़ा। मैंने जब मंजिल के बारे में पूछा तो उसने मुझे डांट लगाई और चुपचाप बैठे रहने को कहा। 

भूत का मुकाबला करने के लिए मुझे दो डोज  ठेठ देशी दवाई के दिए गए



लगभग 15 मिनट बाद वह मुझे अंग्रेजी शराब की दुकान के सामने ले गया और वहां से एक   ब्लैक डॉग व्हिस्की | Black Dog Whisky  नाम की थी, का अद्धा ले ली और मेरे साथ ही वापस मेरे दुकान पर आ गया। उसने मुझे पीछे कमरे में बिठाया और जबरदस्ती मुझे 2 पेग व्हिस्की के पिला दिए और सिगरेट भी पिलाई। मुझ पर कुछ नशा हावी हो गया था तथा मैं पहले से कुछ बेहतर महसूस कर रहा था। उसने कहा कि अगर डर लग रहा है तो मैं रात को यही सो जाता हूं। लेकिन जैसा की मैंने पहले बताया कि मैं बहुत ही निडर किस्म का इंसान था, मैंने कहा अब आप जाओ मैं भूत को खुद संभाल लूंगा। वह चला गया, उसके बाद मैंने भूत भूत भूत करके खूब शोर मचाया तथा भूत को बहुत सी गालियां भी दी तथा कहा की , कहां छुपा है, सामने आ। लेकिन भूत का कोई भी अता पता अब नहीं था। 

इस घटना को घटित हुए वर्षों बीत गए, मगर अब भी अब इस घटना को याद कर बरबस ही होठों पर मुस्कुराहट आ जाती है।


भूत कैसे बनते हैं
भारतीय लोक कथाएं और संस्कृति के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की समय से पहले आकस्मिक मृत्यु हो जाती है और उसकी कोई इच्छा पूर्ण नहीं हो पाती तथा वह पुनर्जन्म  के लिए स्वर्ग नरक में नहीं जा पाते हैं, वह भूत बन जाते हैं। भूत इस दुनिया के बहुत ही अलौकिक प्राणी होते हैं, जो किसी मृतक व्यक्ति की आत्मा से बनते हैं। हमारे बड़े बुजुर्गों के अनुसार आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं जिसमें प्रथम जीवात्मा होती है जो भौतिक शरीर में वास करती है, अन्य दो प्रेत आत्मा और सूक्ष्मआत्मा होते हैं।


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