किसी को नहीं पता होता उस बच्चे की कद काठी कैसे निकलेगी?
उस बच्चे का चाल चलन कैसा होगा?
उस बच्चे में बुद्धिमानी का स्तर कितना होगा?
वह बच्चा कितनी पढ़ाई करेगा?
वह बच्चा जीवन में कामयाब होगा या नहीं?
कुल मिलाकर बात यह है की किसी भी बच्चे के बारे में उसके भविष्य के लिए पूर्ण रूप से सत्य भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। बहुत कुछ बच्चे की परवरिश तथा घर के माहौल पर भी निर्भर करता है। कई बार अच्छे घरों के बच्चे भी पढ़ नहीं पाते चाहे उनके मां बाप कितने भी अच्छे विद्यालय में उनका एडमिशन ना करवा दें। वहीं इसके विपरीत कई बार अत्यंत ही गरीबी में पले पड़े तथा अनपढ़ मां बाप के बच्चों को भी पढ़ाई में बहुत आगे जाते हुए देखा गया है।
अभी हाल फिलहाल में कुछ ऐसे बच्चों को भी आई ए एस, पी सी एस, आई पी एस बनते हुए देखा गया जिन्होंने अत्यंत ही गरीबी का जीवन जिया था, तथा जिनके माता पिता भी अनपढ़ थे।
जीवन में भाग्य का भी एक बहुत बड़ा रोल होता है। ऐसा भी देखा गया है कि कई बार निहायत बेवकूफ किस्म का व्यक्ति भी सिंहासन पर बैठ जाते हैं, जबकि उनसे कहीं योग्य व्यक्ति उसी के दरबार में एक अदना सा सेवक बन कर रह जाता है। लेकिन भगवत गीता में भी एक बात बार-बार कही गई हैै की, इंसान को अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए, कर्म अगर अच्छे होंगे तो भगवान भी देर सवेर इसका फल अवश्य ही प्रदान करेंगे। कर्म प्रधान है तथा हर इंसाान को अच्छे कर्म करनी चाहिए।
जीवन के सफर में हर व्यक्ति को ऊंचे सपनेे देखने चाहिए तथा देखे हुए हर सपनेे को पूरा करने के लिए हर समझदार व्यक्ति को अपना जी और जान लगाlदेना चहिए। कहावत है यह आपके अगर कर्म अच्छे होंगे तो ईश्वर भी देर सवेर आपको इसका फल अवश्य मिलेगा।
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