अगर बच्चों में चंचलता ही ना हो तो फिर वह बचपन कैसा?
बचपन में हर बच्चे में थोड़ा नटखट पन होना भी जरूरी होता है। हर बच्चे में कुछ ना कुछ योग्यता अवश्य होती है, फर्क बस इतना होता है की कुछ बच्चों की योग्यता सामने आ जाती है और कुछ बच्चों की योग्यता छिप जाती है, कुछ बच्चों की इमेज ही उनके परिजन व दोस्त गलत बना देते हैं, जबकि वह बच्चा गलत नहीं होता। दुनिया में अलग अलग माहौल में अलग-अलग बचपन को देखा जा सकता है।
बचपन में दिल दुखने वाला अनुभव | heart breaking childhood experience
मुझे भी आज भी अपना बचपन बहुत ही अच्छी तरह से याद है। पढ़ाई में मैं अपने बचपन से ही होशियार था। मुझे आज भी बहुत अच्छी तरह से वह दिन याद है जब मैं पांचवी कक्षा में पढ़ता था। उस समय में पांचवी के बोर्ड के पेपर होते थे। उस समय board ke exam के लिए एक सेंटर बनाया जाता था जिसमें आसपास के कई विद्यालयों के बच्चों का एग्जाम होता था।
मुझे आज भी अच्छी तरह से याद है की पांचवी की पढ़ाई में मैंने उक्त सेंटर में टॉप पोजीशन पाई थी । मेरी सफलता से मेरे हेड मास्टर बहुत ही प्रसन्न थे तथा मिलने पर हमेशा ही प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेर कर मेरा हौसला बड़ाते थे। उनके द्वारा मुझे वजीफा भी दिलवाने का प्रयास किया गया था, मगर मैं क्योंकि जनरल कास्ट का छात्र था इसलिए मुझे वजीफा नहीं मिल पाया था।
मेरा जन्म वैसे तो सहारनपुर में हुआ था मगर मेरी परवरिश तथा पढ़ाई एक अत्यंत ही पिछड़े गांव में हुई थी। हमारा गांव बहुत वीराने मैं जंगल के साथ लगता हुआ था। उन दिनों हमारे गांव में हमारे घर में बिजली भी नहीं होती थी तथा हमारी पढ़ाई लालटेन तथा चिमनी की रोशनी में होती थी।
गांव में प्राइमरी तक का स्कूल था, इसके आगे की पढ़ाई के लिए हमें ढाई किलो मीटर पैदल चलकर जाना पड़ता था। ढाई किलो मीटर बाद जूनियर हाई स्कूल था। उन दिनों जब मैं पांचवी कक्षा पास करके घर से 2.5 किलोमीटर दूर नए स्कूल में छठी कक्षा में एडमिशन लिया। मेरी पढ़ाई में होशियारी इतनी थी की अध्यापक द्वारा मात्र बोर्ड पर लिखने से ही मुझे सब कुछ जुबानी याद हो जाता था तथा मुझे कॉपी पर भी लिखने की जरूरत नहीं पड़ती थी। मैथ के सवाल भी मुझे जुबानी याद हो जाते थे। कक्षा में अध्यापक कोई भी सवाल पूछे तो मेरा हाथ सबसे पहले ऊपर उठता था।
जब मुझे अध्यापक द्वारा शाबाशी दी गई | when I was praised by the teacher
मुझे आज भी वह दिन याद है जब मैं छठी क्लास में पढ़ता था तथा पढ़ाई के दौरान मैं नल से पानी पीने गया था। पानी पीकर वापसी में जब मैं वापस आ रहा था तो रास्ते में कक्षा 8 की क्लास चल रही थी, उसी क्लास में अध्यापक ने मुझे बुलाया, तो मैंने कक्षा में अजीब नजारा देखा.... सभी बच्चों को उक्त अध्यापक द्वारा खड़ा किया गया था। मुझसे उन अध्यापक ने पूछा की क्या आपको पता है कि,
भारत में सबसे ज्यादा वर्षा कहां पर होती है | where does it rain the most in India
मैंने उत्तर दिया हां मुझे मालूम है। उन्होंने कहा तुम छठी क्लास के छात्र हो आठवीं क्लास है और इसमें से किसी भी बच्चे को इसका उत्तर नहीं पता लिहाजा इनको खड़े होने की सजा दी गई है। अगर तुम्हें पता है तो तुम बताओ।
मेरे द्वारा बताया गया कि भारत में सबसे ज्यादा वर्षा चेरापूंजी में होती है, वह अध्यापक यह सुनकर बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुए और उन्होंने मुझे शाबाशी दी। जब मैं वहां से जब मैं अपने क्लास की तरफ जा रहा था तो मेरा सीना गर्व से फूला हुआ था।
जब मेरी स्कूल में बिना गलती के ही हुई पिटाई | when I got beaten up in school for no fault of my own
आज गुरु पूर्णिमा का दिन है। मुझे भी आज अपने स्कूल पर की सभी अध्यापकों की बहुत याद आ रही है । उन्हें की दी हुई शिक्षा का असर है कि आज मैं इस काबिल हूं की मेरे लिखे हुए यह ब्लॉग की पोस्ट दुनिया में लाखों व्यक्ति पढ़ रहे हैं। मैं उन सभी अध्यापकों को आज हृदय से नमन करता हूं।
आज मुझे अपने छठी क्लास के उस अध्यापक की भी बहुत याद आ रही है जिन्होंने एक बार बिना किसी गलती के लिए मेरी जबरदस्त पिटाई कर दी थी।
वाकया कुछ यह था कि जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूं कि पढ़ाई में बचपन में मैं बहुत होशियार था तथा कक्षा में जवाब देने के लिए मेरा हाथ सबसे पहले ही ऊपर हो जाता था। एक दिन वह अध्यापक कक्षा में आए तथा उन्होंने ब्लैक बोर्ड पर लिखकर कुछ सवाल पूछा, हमेशा की तरह मेरा हाथ सबसे पहले ऊपर उठ गया। उन्होंने आव देखा न ताव तुरंत ही डंडे से मेरी पिटाई शुरू कर दी। अब 15:20 मिनट तक लगातार मुझे मारते रहे तथा अंत में हाफने लगे । लगभग आधे घंटे बाद कुछ नॉर्मल हुए तथा खड़ा कर कर मुझसे उस सवाल का जवाब पूछा। मैंने सिसकियां लेते लेते उनको जवाब दे दिया।
मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया कि उस दिन मेरी पिटाई क्यों हुई थी | I still do not understand why I was beaten up that day
मगर अब बीते हुए वक्त के साथ मुझे यह एहसास हो रहा है कि शायद उस दिन उनका ब्लड प्रेशर अत्यंत ही ऊंचा था या वह किसी अन्य कारणों से परेशान रहे होंगे तथा किसी अन्य का गुस्सा गलती से मेरे ऊपर उतर गया। बाद में वह अध्यापक कई बार हमारे घर में भी आए तथा अक्सर चाय या लस्सी पीकर जाते थे। मुझे आज भी उनकी याद आती है।
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